ब्रहांड में त्रिगुणात्मक संतुष्टि के लिए मदिरा पान करते हैं काल भैरव

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धर्मनगरी उज्जयिनी में स्थिति कालभैरव मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। यहां दर्शन के लिए रोजाना हजारों दर्शनार्थी आते हैं। बाबा कालभैरव को मदिरा अर्पित करते हैं। उन्हें मदिरा चढ़ाते देखने के लिए आस्थावान लालायित रहते हैं। प्रश्न यह उठता है कि बाबा कालभैरव मदिरा पान क्यों करते हैं। इस पर विद्वानों का कहना है कि यह सृष्टि, ब्रहांड में त्रिगुणात्मक (सत, रज, तम) सत्ता से संचालित हो रहा है। भैरव का तामसी प्रवृत्ति का माना जाता है। तमो संतुष्टि के लिए वे मदिरापान करते हैं।
बाबा कालभैरव का यह मंदिर छह हजार वर्ष पुराना माना जाता है। यहां तंत्र क्रिया भी होती है। पहले यहां तंत्र विद्या में विश्वास करने वाले श्रद्धालु ही आते थे। बाद में बाबा कालभैरव के प्रति आस्था रखने वाले भक्तों की संख्या बढ़ती गई और अब स्थिति यह है कि उज्जैन में ज्योतिर्लिंग महाकाल के बाद सबसे अधिक भीड़ कालभैरव मंदिर में ही दिखाई देती है। बाबा काल भैरव को प्रतिदिन मदिरा का भोग लगाया जाता है। दिन भर श्रद्धालु मदिरा का प्रसाद लेकर मंदिर पहुंचते हैं। मंदिर के बाहर शासन की ओर से मदिरा की दुकान भी खोली गई है। एक दिन में हजारों लाखों-रुपये की मदिरा बिक जाती है। इसमें महंगी से महंगी ब्रांड से लेकर देसी शराब भी शामिल है।
अंग्रेज अधिकारी करा चुके जांच
मदिरापान के पीछे क्या रहस्य है, इसका आज तक किसी को पता नहीं लगा। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि ब्रिटिश शासनकाल में एक अंग्रेज अधिकारी ने बाबा की मूर्ति के आसपास खोदाई करवाकर इसका रहस्य जानने की कोशिश की थी। पता लगाया जा रहा था कि आखिर मूर्ति द्वारा मदिरा जाती कहा हैं, हालांकि किसी को कुछ पता नहीं लगा। बताते हैं कि अंग्रेज अधिकारी भी बाबा कालभैरव का भक्त बन गया था।

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